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"दीदी, ये इतने तंग कपड़े क्यूं पहनती है? मना किया तो नहीं मानी अब हम लोग मज़ा नहीं चखाए तो सा* को समझ कैसे आता।”
अभी अभी सामान तल के गैस बंद किया ही था, बस ना आव देखा ना ताव, गर्म करछी उठा के जोर से मार दिया अंजलि ने।
बहु, हमारे घर होली पे गुझिया बनती है। बहुत से मेहमान भी आयेंगे इस बार, नई बहु के हाथों का पकवान चखने, तो इस बार गुझिया तुम ही बनाना।
बुरा न मानो होली है? अगर किसी महिला ने जबर्दस्ती रंग लगाने का विरोध किया तो घमंडी, बदतमीज और ना जाने क्या क्या कहा जाता है उसे।
क्या एक दिन बेटा अपने ससुराल में खाना खा ले, तो वो अपने परिवार से दूर हो जाएगा? क्या त्यौहार सिर्फ आपके घर है, आपकी बहु के मायके में नहीं?
नहीं रंगना पिया तेरे रंग में, ना तेरे प्रेम रंग में, इस होली रंग लूंगी खुद को, बस अपने ही रंग में, रंग लेने दो, मुझे मेरे ही रंग में।
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