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इंटरव्यू हुआ और मैं सेलेक्ट हो गई। अगले दिन सुबह सुबह मुझे तैयार हुआ देख रमन चौंके, "कहाँ की तैयारी इतनी सुबह कोई किट्टी पार्टी है क्या?"
वह अपनी जिंदगी की मालकिन खुद है कोई और नहीं। त्याग और तपस्या की बलिबेदी पर उसने बहुत कुछ खोया है। अब नहीं!
‘होम-मेकर होने का मेरा सफर’ कांटेस्ट की तीन बेहतरीन कहानियों की श्रृंखला में आज तीसरी कहानी है विनीता धीमान की! विनीता आपको हार्दिक बधाई!
‘होम-मेकर होने का मेरा सफर’ कांटेस्ट की तीन बेहतरीन कहानियों की श्रृंखला में आइये बधाई दें कुशल सिंघल जी और सुनें उनकी कहानी, उनकी ज़ुबानी!
'होम-मेकर होने का मेरा सफर' कांटेस्ट की तीन बेहतरीन कहानियों की श्रृंखला में आज हम, आप सब के साथ, शुभा पाठक जी को बधाई देते हुए उनका अभिनंदन करते हैं और जानते हैं उनके इस सफर के बारे में।
कभी आपके मन में ये ख्याल आया - 'घर से अच्छा तो ऑफिस?' या दुनिया जो भी सोचे, 'रानी हूँ मैं इस घर की!' क्या आपको कभी कोई अफ़सोस हुआ?
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