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आखिर कितने दिनों तक चलता ये? बीपी और शुगर से ग्रसित होने के बाद रानू को इतनी रियायत दी गई कि वो झाड़ू पोंछे वाली लगा सके। पर इतने से क्या होता?
तैयार होके उसने शीशे में स्वयं को निहारा तो देखती ही रह गई। 'कितने दिन बाद आज अच्छी लग रही हूँ!' खुद को देख कर उसे अच्छा महसूस हुआ।
स्मृतियों से मगर एहसास जो जुड़ा वो कहाँ मिल पायेगा? हर गृहिणी संजोती है, संवारती है, घर का कोना कोना, कण-कण में बसती है, उसकी आत्मा!
"अपने चारों तरफ देखो हर औरत, चाहे वो हाउस वाइफ हो या ऑफिस जाने वाली, अपना घर संभालती है। समझ नहीं आता कि तुम्हें इतनी शिकायत क्यों है!"
शादी के बाद, घर साफ न होने पर, खाने में देरी हो जाने पर, कपड़े प्रेस न होने पर, हर बात की मैं जवाबदेह थी, उस पर 'तुम दिन भर करती क्या हो?'
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