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इन सब के बीच निशा की एक जेठानी रमा के चेहरे पर निशा हमेशा उदासी की छाया देखती और जल्दी ही कारण भी पता चल गया निशा को।
मुझे कपड़े पहनने की इजाज़त भी आपसे लेनी पड़ती है और काम के लिए देर रात बाहर रहना हो तो आस-पास का माहौल देखना पड़ता है, तो मैं रिबेल ना करूं?
सब कहती कि एक औरत जब तक बेटे की माँ नही बनती तब तक वो माँ नहीं होती। एक बेटा ही एक औरत के औरत होने का पूर्ण दर्जा दिलाता है...
ऐसे विमेंस डे की हमें तो कोई ज़रूरत नहीं है जहां सिर्फ हवाओं में बातें करी जाए और ज़मीन पर शोषण। आप ही को मुबारक हो ये "विशेष दिन"...
इन पहली लेडी ड्राइवर ने जब दुनिया को चौंका दिया तो, देश की न जाने कितनी ही महिलाओं के लिए संदेश दे दिया था, “आओ! अपना दायरा तोड़ें...”
"मेरे विवाह में कन्यादान की रस्म में पिता नहीं बैठे, बाद में उन्होंने कहा कि बेटी कोई सामान या दान की वस्तु नहीं", कहती हैं अंजली शर्मा।
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