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क्या आप मानते हैं कि हर बदलाव की शुरुआत हमें खुद से करनी होगी? तो 'ये मेरा चैलेंज है' आपकी कहानी है ऐसी एक ही शुरुआत की...
आज वक़्त है कि हर काम हर किसी को करने दें, जो जिस काम में खुश, वही उसका काम। क्यूं ना अब एक कदम बढ़ाएं और लाएं दुनियबराबरीवाली।
नहीं बनना देवी, ना तो दिन खास चाहिए, आधी दुनिया को जीने का अहसास चाहिए, 'दिन बराबरी वाला' नहीं चाहते हैं हम, 'हर दिन बराबरी का' क्या दे पाओगे तुम?
क्या ये आवाज़ आपकी और मेरी है, "नहीं कहती कि मुझे सदा पलकों पर बिठा कर रखो, लेकिन मेरे सम्मान से खेलने वाले को सज़ा देने का हक तो दो न!"
एक दिन पुरुष द्वारा तिरस्कृत नारी लावा की भाँति फट भी सकती है और, उस दिन हम इस असमानता के तांडव को देख कर असहज ना हों, क्योंकि यह आग हमने ही लगायी है।
विराली मोदी कहती हैं कि जीवन की हर लड़ाई आपको अकेले लड़नी होती है, आपको बैसाखी की तरह आसपास सहारे मिल जाते हैं लेकिन फिर भी चलना आपको ही है।
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