कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
इस 12 वर्षीय आदिवासी लड़की को लंबे समय तक घर जाने की अनुमति नहीं दी गई थी। उसे 22 अप्रैल को जिंदा जला दिया गया और उस समय वह गर्भवती भी थी।
आज के समय में जहां औरतें अपनी मंज़िल की ओर निडर होके आगे बढ़ रही हैं, तो फिर क्यूँ वे रात को घर से निकलने और रास्ते पर अकेले चलने से डरें?
प्रिया रमानी के जश्न के बीच हर बार की तरह हम इन दलित महिलाओं को भूल गए। तो क्या हम इस तरह की समानता की ओर बढ़ रहे हैं?
मध्य प्रदेश में एक व्यक्ति को महिला के कंधे पर पर बैठाकर उसके साथ मारपीट करते हुए एक गांव से दूसरे गांव तक तीन किलोमीटर ले जाया गया।
हमारे देश में औरतों की सुरक्षा हमेशा से एक चुनावी मुद्दा बन कर रह गया। लेकिन सत्ता में कोई भी पार्टी आये, औरतें कहीं सुरक्षित नहीं हैं।
जहां एक तरफ एक बेटी के पैदा होने पर सब खुशियां मना रहे थे, वहीं दूसरी तरफ एक बाप ने रेप की वजह से प्रेग्नेंट हुयी बेटी और उसके होने वाले बच्चे को खो दिया।
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