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हर्षद मेहता के फर्श से अर्श और अर्श से फर्श की कहानी 'स्कैम 1992- द हर्षद मेहता स्टोरी' एक महिला पत्रकार के ज़ज्बे को भी दर्शाती है।
हर्षद मेहता यानि द बिग बुल की पोल खोलने वाली सुचेता दलाल ने जिस वक्त पत्रकारिता की बिज़नेस बीट में कदम रखा, तब शायद ही कोई और औरत वहाँ होगी।
काश गुलाब वाली सलमा सुल्तान दोबारा अपने उसी संजीदगी भरे लहज़े में न्यूज़ चैनल्स पर आकर खबरें देना शुरू कर दें तो आज खबरें इतनी डरावनी न लगें।
मारग्रेट कजिन्स ने भारतीय लड़कियों को शिक्षित करने के लिए और महिलाओं के मताधिकार के अधिकार के लिए सबसे पहले आवाज़ उठायी थी।
महात्मा गाँधी की सेवा करती कस्तूरबा की तस्वीर पर अक्सर सवाल होता कि गांधीजी स्वयं उनसे पैर धुलवाते थे और वे स्त्री मुक्ति की बात कैसे करते थे?
क्या आप जानते हैं कि वाराणसी में एनी बेसेंट की स्वीकृति से सेंट्रल हिंदू कॉलेज बना और इसके साथ ही काशी हिंदू विश्वविद्यालय भी स्थापित हुआ।
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