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“यह मेरी जमीन है, यह मेरी फसल है। किसी में हिम्मत है जो मेरी फसल और मेरी जमीन ले ले? यह तभी संभव है जब मैं मर जाऊं।”- चीटियाला अइलम्मा
सरला देवी चौधरानी ने ना सिर्फ 'वंदे मातरम' के शेष संगीत को तैयार किया, बल्कि उसे गाकर विदेशी शासकों के पांव तले गहरी नींद में सोये राष्ट्र को जगा दिया था।
अमृता प्रीतम की कविताएं कहती हैं कि उन्होंने कभी भी समाज के बंधनों को नहीं माना, समाज के दकियानूसी उसूलों पर सवाल उठाने में अमृता कभी पीछे नहीं रहीं।
ए. ललिता की कहानी किसी प्रेरणादायक महिला के संघर्ष के कहानी से कम नहीं है, साथ ही साथ वो भारत की पहली महिला इलेक्ट्रिकल इंजीनियर तो थी ही।
इस 100 वें विमेंस इक्वालिटी डे यानि महिला समानता दिवस पर हम आपको भारतीय राजनीती में सक्रिय 9 युवा महिलाओं से परिचित कराते हैं, जो बन रही हैं सबकी प्रेरणा।
24 अगस्त 1911 को बीना दास, सुभाष चंद्र बोस के गुरू प्रसिद्ध ब्रह्मसमाजी शिक्षक बेनी माधव दास और समाज सेविका सरला देवी के घर पैदा हुई।
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