कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
अब जब आपकी बारी आई है तो आप अपनी ही दी हुई सीख से पीछे हट रही हो और आप तो ऐसे परेशान हो रही हो जैसे मैंने कोई पाप करने के लिए कह दिया हो।
अपनी उम्र के अंतिम पड़ाव में खाट पर पड़ी माँ अपने हिस्से के किस्से सुनाती, किस्सा बनकर ही हमारे जीवन में रह जाती हैं!
रेखा की आँखों से नींद कोसों दूर थी, रात के क़रीब एक बज चुके थे लेकिन रेखा को समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या करे।
आज थोड़ा ठहरकर सोचने में लगता है कि क्या इतना मुश्किल था माँ को माँ से बाहर निकालकर सिर्फ एक औरत की तरह मानना?
तुम्हारे साथ भी ऐसी कई घटनाएं होंगी। अगर शर्मिंदगी महसूस हो, झिटक देना। कभी कैंटीन में दोस्तों संग चाय/खाना गिर जाए, रंजिश तज देना।
फिल्म त्रिभंग से, "कभी-कभी सोचती हूं काश ये मेरे किरदार होते, फिर मैं उन्हें अपनी मनचाही दिशा में ले जाती और फिर वो मुझे प्यार करते" ज़हन में बस गयी है...
अपना ईमेल पता दर्ज करें - हर हफ्ते हम आपको दिलचस्प लेख भेजेंगे!
Please enter your email address