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हाल ही में शादी डॉट कॉम ने एक क्रांतिकारी फैसला लिया कि अब उनकी वेबसाईट पर स्किन शेड कार्ड के आधार पर लड़की की प्रस्तुति नहीं होगी।
मुझे लगता है कि अगर ये रूढ़िवादी समाज हमारी महिलाओं को चार दीवारी में बाँध कर न रखे, तो क्या पता वो पुरुषों से बहुत आगे जाएं?
क्यों सर्वशक्तिशाली चुनकर भी तुम्हारी दशा वही रही? क्यों रावण से जीतकर भी तुम ही शक की पात्र बनी? स्त्री तेरी यही दशा कलियुग में भी क्यों रही?
चौंक मत जाना, सिर्फ पहचान लेना, मेरा रास्ता तूने लिखा था ना...अपनी कलम से, तो क्यों मुझे कुचला गया यहाँ पे?
समाज में एक व्यवसाय के रूप में जब अध्यापन कार्य को जब देखा जाता है तो लिंग भेद करते हुए स्कूल टीचर की नौकरी किसके लिए श्रेष्ठ मानी जाती है?
आप फेमिनिस्ट हैं या इस शब्द से नफरत करती हैं? तो आखिर फेमिनिज्म क्या है और फेमिनिस्ट शब्द को लेकर इतनी नकारात्मकता क्यों है?
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