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इन प्रश्नों के उत्तर लेने हर वर्ष मैं आता हूँ, एक दुष्कर्म की सजा आज तक पाता हूँ, पर धरती पर चहुँ ओर कितने ही रावण पाता हूँ, सीता से भी बुरी दशा में लाखों को मैं पाता हूँ।
तुमने मर्द बनकर कौन सा नाम कमाया है? शोषण करके स्त्री का मुंह बस दबाया है, बस अपने घमंड को ऊंचा रखने खातिर, रावण का तुमने पुतला जलाया है!
दशहरे के मेले में रावण दहन देखने एकत्रित भीड़ के बीच भी मौका पाकर कुछ लोग महिलाओं के साथ अभद्र व्यवहार करते हैं। कहीं ये लोग आपके घर के तो नहीं?
कन्या पूजन के दिन कन्या बड़ी मुश्किल से मिलती हैं, पता नहीं कहाँ गयीं? मैंने इतनी श्रद्धा से व्रत रखें हैं, क्या पता इस बार माता हमारी सुन ले!
सिंदूर खेला, स्त्री शक्ति का उत्सव है, इसलिए इसको सिर्फ विवाहित महिलाओं तक सीमित रखना, वहां के समाज से उचित नहीं समझा।
आप लोग ये सोचते हैं कि पुत्र जन्म से आपका कुल और वंश आगे बढ़ेगा और इस वजह से आप अपनी पत्नी और बहू पर बेटे को जन्म देने का दबाव डालते हैं...
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