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pitrasatta
पति कुछ कहे तो सुन लो, बेचारा दिन भर काम से थक के आता है…

मतलब घर से बाहर के काम, काम हैं उन्हीं से थकान होती है? ऐसा कहने वाली घर की कोई बड़ी स्त्री ही होती है, जो बस अपने ज़माने के कामों का बखान करती है।

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ना मायका न ससुराल, कोई घर नहीं मेरा!

छह गज की साड़ी में मायके की इज्ज़त लिए,आंखों में बिना कोई सपना पाले नए जीवन का,चल दी ससुराल की ओर एक नए घर को संवारने। 

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औरत चाहे कितनी भी कामयाब क्यों ना हो उसे “मिसेज़ हस्बैंड” ही क्यों कहा जाता है?

पति के नाम से पत्नी की पहचान शायद हमारे कल्चर का हिस्सा बन चुका है जिसका एक और उदाहरण मैं आपको देती हूं।

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अम्मा! नियम तो बदलने के लिए ही बनते हैं…

"अम्मा! नियम तो बदलने के लिए ही बनते हैं और बेटियाँ और बहुएं तो हमारे समाज और परिवार के लिए रीढ़ के हड्डी समान होती हैं..."

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वो ढलती गई तुम्हारे अनुसार लेकिन तुम…

"शरीर देखा है अपना?" तुमसे इतना सुना कि उसने बिलकुल आराम करना छोड़ दिया! "फैलती जा रही हो!" तुमसे इतना सुना कि उसने खाना छोड़ दिया।

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भाई साहब, मेरी बेटी तभी सुरक्षित होगी जब आप जैसे लोगों की नज़र बदलेगी…

रमा की बात सुनकर उसके ननद नन्दोई और सास के चेहरे का रंग उड़ गया और अजय ने धीरे से मुस्कुरा कर मौन सहमति रमा को दी।

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