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"चलो! मैंने सोचा था मिलकर बताऊंगी पर बात खुल ही गई तो बता देती हूं। वो मैं ही थी सौ प्रतिशत मैं और मैंने सोलह श्रृंगार भी किया हुआ था।"
“जब आपका बेटा था तो आपने मुझे रसोई और घर में झोंक दिया और जब वो चला गया तो मुझसे नौकरी करने को कह रहे हैं? क्या चाहते हैं आप मेरे से?"
औरत मांग में सिंदूर भरकर, अपने शादीशुदा होने का प्रमाण देती है। फिर समाज क्यों नही मांगता कोई, प्रमाण पुरूष के शादी शुदा होने पर।
आपने अक्सर देखा होगा कि लोग अपने घरों में लड़कियों का नाम कौशल्या और सुमित्रा तो रखते हैं, लेकिन कोई कैकेयी नाम क्यों नहीं रखता?
क्यों उसका स्वयं के लिए जीना बन गया अपराध उसका? क्यों उसका सर उठा कर जीना रास ना आया तुम्हे? क़ुसूर क्या बस इतना था कि...
यहां मैं सभी की बात तो नहीं कर रही पर बचपन से ही हमें अक्सर सुनने को मिलता, "तेरा तो व्याह हो जायेगा! तू तो ससुराल चली जायेगी! फिर तेरा यहां कौन?"
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