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घबराई सी पहुंची कहने जो अपनी बात, सभी के आंख के इशारे कहने लगे मानो चुप रह, सह, कह नहीं सकते हम ये किसी से...
घरेलु हिंसा, मानसिक शोषण और एक ख़राब शादी, कोई भी चीज़ उन्हें अपने पति की लम्बी उम्र के लिए किसी भी तीज त्यौहार पर व्रत करने से नहीं रोकती।
बात चाहे जो भी हो, लेकिन इस पूरे मामले में बात इतनी ज़रूर है कि लड़की ने लड़के को शादी के लिए ना कहा, और ये लड़के से बर्दाश्त नहीं हुआ .
वैसे तो धर्म हमारी सहूलियत, हमारे समाज को एक आदर्श समाज की ओर बढ़ाने में सहायक होना चाहिए, अब उसकी भी नारीवादी व्याख्या होनी चाहिए।
वह इस बात का अनुभव कर चुकी थी कि एक औरत, चाहे वो जो भी हो, किसी की पत्नी हो, बहु हो या माँ हो, हर रूप में उसका शिक्षित होना बहुत ज़रूरी है।
आईएएस अफसर रितिका जिंदल ने महिलाओं से अपील की कि वे आगे बढ़ कर रूढ़िवादी और पितृसत्ता वाली सोच का विरोध कर समाज की ऐसी विचारधारा को बदलें।
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