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क्यों रास नहीं आता समाज को राजनीति और महिलाओं का मेल?

जिस देश के घर महिला चलाती हैं, उसी देश को ज़्यादातर इन्हीं घरों के पुरुष चलाते हैं और गौर से देखें तो देश के हालात इस तथ्य की गवाही देते हैं! 

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अरे तुम तो अभी से बूढ़ी लगने लगी हो…

वह मेरे सफ़ेद बालों को देखकर आंटी बोलते हैं और शायद उन्हें लगता है कि मुझे उनके लॉरियल में रंगे बालों को देखते हुए उनको बेटा बुलाना चाहिए...

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एक आम भारतीय महिला रोज़ाना छह घंटे ‘अनपेड’ काम करती है लेकिन…

हाल ही में एक रिर्पोट में आया है कि कोरोना माहमारी के कारण 47 फीसदी कामकाजी महिलाएं काम के प्रेशर के कारण भावनात्मक परेशानी महसूस कर रही हैं।

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एक महिला पत्रकार का सामना होता है इन चुनौतियों से…

एक महिला पत्रकार होने के नाते मैं बदलाव से इनकार नहीं कर सकती, लेकिन अनुभव से इतना जरूर कहूंगी कि मीडिया में आज भी पुरुषवादी सोच हावी है।

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लड़कियों पर पाबंदी लगाने से अच्छा है कि…

वे लोग जब मेला में घूम रही थीं तो भैया को अपने दोस्तों के साथ लड़कियों पर कमेंट्स करते देखा। उसके भैया सामने बहनों को देख अचंभित थे।

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यहाँ औरत की गलती में छुपते हैं गुनाह कई…

हमारा समाज औरतों के खिलाफ हुई हर हिंसा में औरत की गलती ढूंढ ही लेता है, फिर वो चाहे उसके कपड़े हो, उसका काम या उसका रात के समय बाहर जाना।

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