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अगर आप भी माँ-बहन की गालियाँ देंगे तो…

मर्द टैग से संबंधित क्रियाओं में से, दूसरे को माँ-बहन की गालियाँ निकाल कर, क्या आप ये दर्शाने की कोशिश करती हैं कि देखो! हम भी मर्दों से कम नहीं?

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फ़िल्म मी रक़्सम : शबाना आज़मी द्वारा प्रोड्यूस की गयी फ़िल्म कुछ अहम सवाल पूछती है

शबाना आज़मी द्वारा प्रोड्यूस की गयी फ़िल्म मी रक़्सम पूछती है कि अगर कोई मुस्लिम लड़की डांस सीखना चाहती है तो क्या यह गैर मज़हबी हो जाता है?

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उन दो कंगन ने आज जगाई जीने की एक नयी उम्मीद…

आज उसने ठान लिया था और वह अपने घर के मैले आसमान से निकल कर असली आसमान देखने को निकल पड़ी, आज उसे कोई नहीं रोक सकता था, ना समाज न गालियाँ! 

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माहवारी के बारे में हमारे पुरुषों को भी शिक्षित करना ज़रूरी है, जानिये क्यों!

माहवारी के बारे में सबको ये समझना ज़रूरी है कि महावारी कोई बीमारी या अपवित्रता नहीं, यह पूर्ण रूप से एक सामान्य प्राकृतिक प्रक्रिया है।

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गुलाबी-नीले रंग से लेकर ‘मर्द को दर्द नहीं होता’ का सफर…

,जब कोई लड़का हाथ उठाता है या कहीं हथियार उठाता है, तब उस बच्चे के सूखे आंसू बह जाने को मचलते हैं जब गुलाबी नीले रंगों में, बचपन बांटा जाता है!

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कहीं पढ़ा था कि फ़िल्म गुंजन सक्सेना का नाम ‘गुंजन के पापा’ होना चाहिए था…

फ़िल्म गुंजन सक्सेना में घोर पुरुषवाद और पितृसत्ता है पर चूँकि सत्य घटना पर आधारित है तो सच तो दिखाना ही था लेकिन आज भी कुछ खास नहीं बदला है...

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