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सोच को बदलने का समय आ गया है, कमजोर नहीं सशक्त बनने का समय आ गया है, सिर्फ परिवार नहीं उसका स्वाभिमान भी सब पर भारी है।
स्त्री खुश है या नहीं, कोई मायने नहीं रखता। आज भी स्त्री, गृहस्वामिनी की खुशी या दुख से, किसी को, कोई फ़र्क नहीं पड़ता।
भारत की कई मशहूर कंपनियों ने महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए अपनी भर्तियों में महिलाओं को 40% भागीदारी देने की परियोजना बनाई है।
भले लोग कह रहे हों कि मिंत्रा लोगो कंट्रोवर्सी एक पब्लिसिटी स्टंट है। मेरा भी मानना है कि एक पल को मान लेते हैं कि यह यही है मगर...
जब एक महिला बच्चे को जन्म देती है तो उसके शरीर में कई बदलाव आते हैं। पैरों में सूजन, पेट का बढ़ जाना...स्ट्रेच मार्क्स भी उनमें से एक है।
कई ग्रामीण इलाकों में डॉक्टर बिना सोचे-समझे सिज़ेरियन डिलीवरी करवा देते हैं ताकि पैसे कमाए जा सकें, जिसकी जरुरत नहीं होती है।
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