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ज्यादा निराशा अंजलि को इस बात से थी कि उसके लिए महत्व रखने वाली इतनी सीधी बात अमन के लिए कितनी गैरज़रूरी थी।
जीवनसाथी तलाशते हो या बुढ़ापे में सेवा करने के लिए कोई आया, मुझे तो तुम्हारा यह समाज आज तक कुछ समझ में नहीं आया...
विवाहित भुवनेश्वरी पुराणिक ने अपने पिता, स्व. अशोक की बेटी होने के नाते, उनकी नौकरी प्राप्त करने के लिए राज्य सरकार को अर्जी दी थी।
अतुल जी नाम बदलने की रस्म पुराने समय के रिवाज़ थे, जब अर्रेंज मैरिज में लड़के लड़की मिलना तो दूर, शादी से पहले एक दूसरे को देखते भी नहीं थे।
जब मेरी माँ अकेली औरत होकर हम बहनों को बेटों की तरह पाल सकती है, तो हम बहनें क्यूँ नहीं उनको अंतिम विदाई दे सकते हैं?
बरेली के दूल्हे के मित्रों ने यह सोच लिया कि हम लड़की के साथ जैसा चाहें वैसा बर्ताव कर सकते हैं और आगे जो हुआ उसका उन्हें अंदेसा न था।
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