कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
क्या आप जानते हैं कि सावित्री बाई की चित्रकला को देखकर उन्हें परमवीर चक्र तैयार करने का प्रस्ताव दिया गया जो उन्होंने सहर्ष स्वीकार किया?
आदमी काम करने जाते हैं, मेहनत करते हैं, पैसा लाते हैं तो उनका पहला हक बनता है ना? औरतों को घर में रहना है तो बराबरी की कोई दरकार नहीं है।
अगर, कोई लड़की पहल कर दे तो वो डेस्परेट कहलाती है। और अगर, न करे, तो भाव खाती है। लड़कियाँ दोनों तरफ से फंसी हुई हैं।
बस अब बहुत सह लिया, अब और नहीं सहना है मुझको, नहीं चाहिए सहारा किसी का, अब सहारा बनना है मुझको...अब सहारा बनना है मुझको...
क्या आज भी औरतों के जिस्म का नाप, इस समाज की संकीर्ण सोच की जागीर है? और क्या आप भी इस बॉडी शेमिंग का हिस्सा हैं?
लड़कियाँ क्या क्या नहीं इस्तेमाल कर रहीं है संस्कारों की फैक्ट्री उजाड़ने के लिए। आजकल संस्कारों पर हमले हो रहे हैं, घोर कलियुग आ गया है।
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