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saas bahu
मैं अपनी सासू माँ को बहुत अच्छे से जानती हूँ…

अरे यार क्या हो गया है आज? सुबह-सुबह क्या हो गया है मम्मी को? इतनी तेज़ आवाज़ में गाने गा रही है और रसोई में बर्तन बजा रही है?

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मेरा बेटा अब जोरू का गुलाम बन कर रह गया है…

वाह बेटा वाह! बड़ी जल्दी बीवी का चेहरा पढ़ना सीख गया? जा अब जा कर मना उसे, खाना बना खिला, रसोई में रखे बर्तन धो...जोरू का गुलाम!

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माँ आप बहू के संस्कारों की लिस्ट तो देना भूल गयीं…

बंद कीजिए तमाशा और जल्दी विदाई कीजिये, और पाण्डे जी आप क्या औरतों की तरह रो रहे हैं, आप अनोखे पिता थोड़ी ना है जो बेटी विदा कर रहे हैं।

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बहु तुम्हारा लंच बॉक्स अब मैं पैक करुँगी…

क्यों बहू मेड की क्या ज़रुरत है? वैसे हम कुल मिलाकर चार लोग ही तो हैं और हाँ हम मेड के हाथों का बना हुआ खाना नहीं खा सकते।

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मैं अपने ससुराल वालों पर विश्वास कैसे करूँ?

करवटें बदलता अतुल भी यही सोच रहा था कि अगर लिस्ट ना होती तो शायद दो अंगूठी और एक झुमका गायब है, ये पता भी ना चलता।

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माँ मुझे भाभी की आह लग गयी है…

याद है एक दिन भाभी ने अपने पसंद की सब्ज़ी बना दी थी और आपने उस दिन खाना नहीं खाया। भाभी के माफ़ी मांगने के बाद आपने खाना खाया।

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