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"मुझे माफ़ कर दीजिए मां! पर साड़ी कटने में मेरा कोई दोष नहीं, मैंने सारे एहतियातों का ध्यान रखा था, पर वो पिन की वजह से..."
"दरअसल गलती इनकी भी नहीं। इनको इनके माता-पिता पढ़ा लिखाकर आत्मनिर्भर तो बना देते हैं, लेकिन संस्कार देना और घर के काम सीखाना भूल जाते हैं।"
"मेरे बेटे ने पसन्द किया है लड़की को और लड़की रहना चाहती है। मैं माँ हूँ अगर मैं साथ न दूँगी तो मेरे बच्चे दुनिया में अकेले हो जायेंगे।"
दूसरी बार सास बेटे-बहू के पास खुद आईं, आने के पहले अंकुश को फोन करके बोली, तबीयत भी अच्छी नहीं है, और तुम लोगों से मिलने का भी मन हो रहा है।
काम वो करती, तारीफें सासु माँ ले जाती और तो और जब ऑफ़िस से धर्मेश आते तो हर काम में बहू के साथ साथ हो जाती, मानों उसकी मदद कर रहीं हों।
"माँ, आप देखो सिंक बर्तन से भरा है, घर का हाल देख लीजिये! ये नहीं कि थोड़ा टाइम निकाल ले। छोटी सी बच्ची है घर में। पता नहीं कैसी माँ है!"
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