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सीरियल में अगर बहू कुछ गलत करती तो उस दिन वही चर्चा का विषय होता और रीमा को सुन सुन कर ऐसा लगता जैसे उसे ही सुनाया जा रहा हो।
रोहन के पिता ने नाराज होते हुए कहा, “तुम समझती नहीं हो, शहर की लड़की है, ऊपर से नौकरी भी करती है, वह बुढ़ापे में हमारी सेवा कभी नहीं करेंगी।”
“अरे माँ! बड़े घर की बेटी है, काम करने की आदत नहीं है उसको। कई नौकर चाकर थे उसके यहाँ। मैं ऐसा करता हूँ कि एक मेड रख देता हूँ।”
पहले ही घर का काम क्या कम होता था, जो अब ये नए चोंचले? सारा दिन तेरे बेटे को संभालो, घर के काम देखो, बुढ़ापे में मैं क्या क्या करूँ?
“थोड़े दिन रहने देता, दिव्या कमजोर है अभी?” धीमे स्वर में शीला जी ने कहा तो कमल का धैर्य जवाब दे गया। आगे उसने जो कहा उसकी उम्मीद नहीं थी।
"एक बात बताइए मुझे, कहां से लाते हो आप आदर्श बहू का तराजू? और उस तराजू में हमेशा पलड़ा आपकी बहू का ही क्यों हल्का होता है?"
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