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बीना को बहुत बुरा लगा और वह सोचने लगी कि दोनों बच्चों की डिलीवरी के समय वह मायके में ही रही और मम्मी पापा ने सारा खर्चा उठाया तब...
"ससुराल वालों और पति के तानों को सुन कर कब तक रहोगी? आधुनिक सिर्फ कपड़ों और रहन सहन से नहीं, आधुनिक विचारों से भी होना चाहिये..."
रिद्धि संयुक्त परिवार से थी अतः उसे रिश्तों की समझ थी। वह सोच चुकी थी कि ब्याहता ननद के साथ कभी सहेली तो कभी बहन की तरह रिश्ता निभाएगी।
स्वाति के पतिदेव रवि भी अपने मामा, मामी, मौसा, मौसी की ही बातें करते, पर भूल कर भी कोई ससुरजी के भाई बहनों की बातें न करता।
उनको ऐसे कमरे में बंद देखकर मेरा मन भी दुःखी होता। लेकिन पतिदेव अमर की ज़िद थी कि मेरी पहली होली ससुराल में ही होगी।
"हाँ, ये पैसे हम जिया के नाम से फिक्स कर देंगे, ताकि कल को जब उसके ससुराल वाले हमसे अपनी बहू का हिस्सा मांगे तो हम भी दे पायें।"
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