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"रूपेश ऐसा मौका बार-बार नहीं आता और घूमने बाद में भी जा सकते हैं। ऐसा मौका तुम्हें मिलता तो तुम छोड़ देते?" धैर्य खोते हुए सेजल बोली।
अविनाश प्यार करता था नेहा को लेकिन माँ बाप के सामने होंठ सिल लेता कुछ बोलता ही नहीं क्या गलत क्या सही जैसे विवेक ही ख़त्म हो जाता उसका।
मैं सोचने लगी कि अब तक तो मुझ पर निगरानी रखी जाती थी अब आज ये बात भी पता चली कि ऑनलाइन निगरानी भी मेरी रखी जाती है।
मेरे ससुराल वाले मेरी तारीफ किया करते, जिससे मेरी जेठानी को बहुत प्रॉब्लम होती और वो रोज नए तरीके ढूंढतीं मुझे नीचा दिखाने के।
“अगर जिंदगी मुझे दोबारा मौका दे रही है तो मैं क्यों घर में बैठूँ। मेरी बच्ची को भी घी वाली रोटी खाने का हक है और उसके लिए ऐसी रोटी मैं कमाऊंगी।”
चलते-फिरते मुझे ससुर जी, कभी मेरे देवर, तो कभी मेरे पति याद दिला दिया करते थे कि मैं इस घर में उनकी पसंद नहीं हूँ।
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