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तेरे कारण मेरी दोनों छोटी बेटियों की शादी नहीं हो पाएगी। लोग कहेंगे कि बड़ी बहन तो खुद पीहर आकर बैठी हुई है, पता नहीं छोटी कैसी होगी।
क्या एक दिन बेटा अपने ससुराल में खाना खा ले, तो वो अपने परिवार से दूर हो जाएगा? क्या त्यौहार सिर्फ आपके घर है, आपकी बहु के मायके में नहीं?
तुम घर की बहू हो, बेटी नहीं। तुम्हें जिम्मेदारियों का कोई एहसास है कि नहीं? रात के खाने का टाइम हो चुका है और तुम्हारा अता पता ही नहीं।
"तुम परेशान ना हो, पर पहले मम्मी-पापा से तो पूछ लो और तुम्हें तो पता है ना कि आज बड़ी दीदी और जीजा जी पूरे परिवार के साथ आने वाले हैं?"
बुआ सास ने कहा, "जब सास ही रस्म रिवाज नहीं निभाएगी, तो बहु क्या खाक रीति-रिवाजों को मानेगी? वो तो आज के जमाने की लड़की ठहरी।"
इधर चंचल की शादी हो गई। माँ ने पहले ही बोला था कि ज्यादा बोलना नहीं और कोई कुछ बोले तो 'खीखी' मत करने लगना।
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