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‘समाज क्या कहेगा’ की सोच पर हथौड़ा मारती है फिल्म शादीस्थान

फिल्म शादीस्थान का ये डायलाग बहुत कुछ कहता है, "हम जैसी औरतें लड़ाई करती हैं ताकि आप जैसी औरतों को अपनी दुनिया में लड़ाई न करनी पड़े।"

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बाहर वालों को हमारी फैमिली हमेशा खुश दिखनी चाहिए…

'हम साथ-साथ हैं' सा परिवार जो कि नामुमकिन के ज़रा नीचे है, हमें स्वीकार है किन्तु एक फैमिली के डिस्फंक्शनल किरदार देखने में गुरेज़ है।

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बाकी सब तो वैसा का वैसा ही रहेगा…

पिता कैसे अपने कलेजे को छलनी होने से रोक पाएगा, ज्यादा कुछ नहीं बस वह अपनी बेटी के घर का मेहमान हो जाएगा, बाकी सब वैसा का वैसा ही तो रहेगा।

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क्या बेटी बिन पैसे ब्याही ना जाएगी?

कह लो उसको चाहे उपहार या फिर कह लो दहेज, मत करो जेब ख़ाली सच यही है, मत करो ख्वाहिशें पूरी इसकी, बिन पैसे कैसे ब्याही जाएगी।

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क्या हमारा समाज समलैंगिक विवाह अपनाने के लिए तैयार है?

आज भी लोग अलग जाति और धर्म में शादी करने के कारण मारे जाते हैं, ऐसे में लगता है कि समलैंगिक विवाह के विचार को स्वीकार करना और भी मुश्किल है।

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‘लोग शादी क्यों करते हैं’ से क्यों हैं मलाला सवालों के घेरे में?

मलाला ने वोग मैगज़ीन के इंटरव्यू में कहा कि लोग शादी क्यों करते हैं, यह पार्टनरशिप क्यों नहीं हो सकती? और इस बात की आलोचना हो रही है?

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