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पर यह क्या! लड़की मांगलिक थी। अब तो शांति देवी और राजेश जी के अरमानों पर पानी फिर गया। आती हुई लक्ष्मी जाते हुए दिखाई देने लगी।
संध्या को देखते ही सुधीर उसके पांव को पकड़ माफ़ी मांगने लगा, ”मुझे माफ़ कर दो संध्या बहुत बड़ी गलती हो गई। प्लीज़ घर चलो।”
जय नेहा को हर समय नीचा दिखाता था कि, “तुम औरत हो तुम कुछ नहीं कर सकती हो, जो पुरुषों का काम हैं उन्हें ही करने दो”।
क्या, कभी सुना है, कि पुरुष पिता नहीं बन पाया तो औरत ने दूसरी शादी कर ली? या औरत दूसरी शादी कर, दूसरा पति ले आई? नहीं ना?
और वो सोचने लगी कि क्या इस रिश्ते में पत्नी की सहमति भी कुछ मायने रखती है या ये रिश्ता सिर्फ पति की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए बनाया गया?
‘हिज़ स्टोरी’ देखने के बाद जो पहला सवाल ज़हन में आया वह यह कि एलजीबीटीक्यू (lgbtq) समाज के लोगों कि अन्य समस्याएं और क्या-क्या हो सकती हैं।
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