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"शरीर देखा है अपना?" तुमसे इतना सुना कि उसने बिलकुल आराम करना छोड़ दिया! "फैलती जा रही हो!" तुमसे इतना सुना कि उसने खाना छोड़ दिया।
बेटा वो समय ही ऐसा था। बेटियां अपने परिवार के निर्णय का प्रतिवाद नहीं करतीं थीं। वैसे भी मैं आत्मनिर्भर भी तो नहीं थी तुम्हारी तरह। उस पर मेरी ये लंबाई...
मेरी सैलरी से पैसा लेना कभी किसी को बुरा नहीं लगा, पर मेरी मदद करना...! और उसी का नतीजा था कि आज सब लोग एकत्रित हुए थे।
स्वरा को ये बात बहुत अंदर तक चुभी। आदित्य ऐसी सोच वाला होगा ये उसने कभी नहीं सोचा था। किसी औरत के पहनावे से उसके छेड़ने ना छेड़ने का क्या मतलब।
लगभग एक साल बाद सुहानी के लिये संदीप का रिश्ता आया और पहली मुलाक़ात में ही सुहानी को संदीप और उसका परिवार बहुत अच्छे लगे।
जैसे ही मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा तो उसका चेहरा देख मैने चौंकते हुए पूछा, "विशाखा तुम्हारे चेहरे पर ये निशान?" सुन कर विशाखा रो पड़ी।
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