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हमने सोचा माँ-बाप की इकलौती बेटी है, इतना बड़ा बिजनेस है, तो हमे ही मिलेगा। लेक़िन यहाँ तो बाप बेटी को कंगाल कर के गया।
क्या हुआ? मुझे तो लग रहा था कि आप बहुत ख़ुश होंगे ये बात सुनकर...अब हमारी शादी को भी ३ साल हो गए हैं। अब हमें अपनी फ़ैमिली बढ़ानी चाहिए।
संयम को माँ-बाप समझाते तो उल्टा वो उन्हें समझाने लग जाता कि आजकल की लड़कियाँ कितनी तेज़ होती हैं और किस तरह उन्हें क़ाबू में रखना चाहिए।
रश्मि को अपनी कानों पर भरोसा नहीं हो रहा था कि जिस परिवार के लिए वो इतना कुछ करती है। वही परिवार उसके जन्मदिन को लेकर ऐसी सोच रखता है।
भाभी ने मज़ाक-मज़ाक में आभा के गरीबी का मज़ाक उड़ा दिया, "क्या आभा इतनी क्या प्यारी है ये साड़ी तुम्हें जो हर फंक्शन में इसे ही पहन लेती हो?"
पैसा होने की वजह से समाज में रूतबा भी ससुराल वालों का बहुत था, लेकिन दरवाजे पर लगे महंगे पर्दे के पीछे की सच्चाई बिलकुल ही उलट थी।
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