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सच्चे अर्थों में महिलाओं के लिए आज़ादी के मायने उस दिन बदलेंगे जब वह घर की चारदीवारी से लेकर बाहर तक स्वयं को आज़ाद महसूस करेंगी।
मेरे लिए आज़ादी का मतलब बहुत सरल है। आप बस इतना करें कि बेटी के जन्म के साथ ही उसे सर्वश्रेष्ठ स्त्री बनाने की होड़ से उसे आज़ादी दें।
महिलाओं ने सहिष्णुता और वीरता से अपनी भूमिका निभाई, जिसके कारण स्वतंत्रता की लड़ाई में भारतीय महिलाओं का योगदान अविस्मरणीय है।
आज़ादी तो मिल गई हमको, पर क्या सचमुच हम आज़ाद हो गए? भ्रूणहत्या, बलात्कार, चोरी,दान-दहेज की बेड़ियाँ, ऐसे दानवों के आगे हम अब भी रगड़ते एड़ियाँ!
किसी कालेज के फ्रीडम फैस्ट में आज़ादी मांगती, अल्हड़ युवती के गालों पर सजे तिरंगे की टैटू बन उसके दिल में बहते देशभक्ति के झोंके से भी बोलता हूं!
एक और स्वतंत्रता दिवस की बधाई, लेकिन अभी भी हमारी सबसे बड़ी बंदिश है, 'औरत होने की बंदिश!' आज भी कुछ ऐसा ही मानना है इस 'आधी आबादी' का...
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