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सामाजिक पितृसत्ता का ही परिणाम है कि दिल्ली में कोरोना को लेकर जब घरों में सर्वे हो रहे हैं, तो लोग अपनी जानकारी देने से कन्नी काट करे हैं।
हिंदुस्तान यूनीलीवर फेयर एंड लवली से फेयर शब्द हटाने जा रही है जो कि अपने आप में एक ऐतहासिक कदम है लेकिन क्या इतना काफी है?
फिल्म बुलबुल की पृष्ठभूमि 100 साल पहले की है, जब बंगाल में ईश्वरचन्द्र विद्यासागर जैसी हस्तियाँ महिलाओं के शोषण के विरुद्ध आवाज़ उठा रहीं थीं।
सुष्मिता सेन आर्या के अवतार में पूरी तरह रच-बस गई हैं जिसे देखकर आपको भी लगेगा कि ‘आर्या’ सिर्फ वहीं बन सकती थी, कोई और नहीं।
हाल ही में शादी डॉट कॉम ने एक क्रांतिकारी फैसला लिया कि अब उनकी वेबसाईट पर स्किन शेड कार्ड के आधार पर लड़की की प्रस्तुति नहीं होगी।
अनुष्का शर्मा की फिल्म बुलबुल बीसवीं सदी के भारत में बाल विवाह, बेमेल विवाह, घरेलू हिंसा, प्रतिशोध और बलात्कार की पीड़ा की कहानी है।
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