कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
विनोद कुमार शुक्ल जी की ये कविता हताशा के पल में मनुष्य का मानसिक स्वास्थ्य और उससे उबरने के लिए समाज के साथ चलने की जरूरत को समझाती है।
बारात निकलेंगी यारों की, बैंड पर नागिन-सपेरा बन लहराऐंगे, जन्मदिन पर धूम मचाकर हैप्पी बर्थडे टू यू गाऐंगें!बस कुछ दिनों की बात है!
अगर आपने अभी भी अपने मन में एलजीबीटी से जुड़ी अनगिनत गलत फ़हमिया पाल रखी हैं तो इस प्राइड मंथ में जानिए एलजीबीटी से जुड़े कुछ मिथक और तथ्य।
घरेलु हिंसा के ये स्वरुप चोट तो देते हैं पर निशान नहीं देते, और ये कभी सबके सामने बोले नहीं जाते क्योंकि यहां मज़लूम ही मुज़रिम करार दिया जाता है।
पति-पत्नी के रिश्तों की घुटन और खोखलेपन को दिखती इस फिल्म का नाम पहले डब्बा गुल था और ये शार्ट फिल्म मात्र 50 घंटे में तैयार हुयी।
कोरोना नर है या मादा इसका निर्धारण कहां और कैसे हो जाता है? कोरोना देवी है देव नहीं यह तय कैसे होता है? और इसकी पूजा स्त्री ही क्यों कर रही है?
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