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फिल्म ईब आले ऊ उस वर्ग की लाचारी दर्शाती है जो कई सपने लेकर बड़े शहरों में आते हैं और वह शहर उन्हें एक बंदर की तरह नचाता है।
प्यार रूह से किया जाए तो प्यार कहलाता, गर जिस्म से हो जाए तो समाज बीच में आ जाता? जिंदगी जीने और प्यार चुनने का हक है तो यह समाज बंदिशें क्यूं लगता?
इस लॉकडाउन में मुझे उन पुराने सीरियल और फिल्मों को देखने का मौका मिला जिनके बारे में मैं अपनी माँ से बचपन में सुना करती थी...
पारुल और रोहित, दोनों प्यार के पंछी, घर और नौकरी में उलझे बड़ी मुश्किल से अपने लिए वक्त निकाल पाते थे, फिर वक्त की चाल बदली और....
यहां ऑनलाइन शॉपिंग के कुछ ऐसे एथनिक ब्रांड्स हैं जहां पर आप आज भी घर बैठे-बैठे कर सकती हैं अपनी पसंद के कपड़ों की शॉपिंग, बिना किसी टेंशन के।
अरी लड़कियों इस में लॉकडाउन में ज़रा ये सब नया सीखने के साथ-साथ अपने घरवालों से कहो कि घर के लड़के भी कुछ नया अब तो सीख ही डालें!
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