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इन प्रश्नों के उत्तर लेने हर वर्ष मैं आता हूँ, एक दुष्कर्म की सजा आज तक पाता हूँ, पर धरती पर चहुँ ओर कितने ही रावण पाता हूँ, सीता से भी बुरी दशा में लाखों को मैं पाता हूँ।
"नहीं सुनना मुझे कुछ... इतनी भीड़ में तुम पर ही क्यों नजर गई उनकी? कुछ तो किया होगा तुमने? यूं ही तो कोई परेशान नहीं किया करता..."
हमारी कोई नहीं सुनेगा, कोई उलटा मुझ पर ही इल्जाम लगा देंगे और भाभी मेरी शादी के लिए मुश्किलें होगी। आप प्लीज चुप रहिए, आपको मेरी कसम।
अगर नीति ने अपने बेटे शिवम को गुड टच और बैड टच के बारे में ना सिखाया होता तो क्या शिवम भी नितिन की तरह यौन शोषण का शिकार होता रहता?
ऐसे विमेंस डे की हमें तो कोई ज़रूरत नहीं है जहां सिर्फ हवाओं में बातें करी जाए और ज़मीन पर शोषण। आप ही को मुबारक हो ये "विशेष दिन"...
रमानी-अकबर केस में, रमानी की जीत में कोर्ट के निर्णय के यह कुछ मुख्य अवलोकन बदलते समाज की आवाज़ बनकर सुनायी दिए हैं।
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