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इन सब के बीच निशा की एक जेठानी रमा के चेहरे पर निशा हमेशा उदासी की छाया देखती और जल्दी ही कारण भी पता चल गया निशा को।
सब कहती कि एक औरत जब तक बेटे की माँ नही बनती तब तक वो माँ नहीं होती। एक बेटा ही एक औरत के औरत होने का पूर्ण दर्जा दिलाता है...
"मेरे विवाह में कन्यादान की रस्म में पिता नहीं बैठे, बाद में उन्होंने कहा कि बेटी कोई सामान या दान की वस्तु नहीं", कहती हैं अंजली शर्मा।
क्या आप मानते हैं कि हर बदलाव की शुरुआत हमें खुद से करनी होगी? तो 'ये मेरा चैलेंज है' आपकी कहानी है ऐसी एक ही शुरुआत की...
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