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हमने सोचा माँ-बाप की इकलौती बेटी है, इतना बड़ा बिजनेस है, तो हमे ही मिलेगा। लेक़िन यहाँ तो बाप बेटी को कंगाल कर के गया।
संयम को माँ-बाप समझाते तो उल्टा वो उन्हें समझाने लग जाता कि आजकल की लड़कियाँ कितनी तेज़ होती हैं और किस तरह उन्हें क़ाबू में रखना चाहिए।
तू झूठी तारीफ करना बंद कर, आज तक जब भी मैं तेरे घर आई हूं, तुझे ही काम करते देखा है। वो लोग तो सिर्फ बैठ के गप्पें ही मारती मिलीं मुझे।
रश्मि को अपनी कानों पर भरोसा नहीं हो रहा था कि जिस परिवार के लिए वो इतना कुछ करती है। वही परिवार उसके जन्मदिन को लेकर ऐसी सोच रखता है।
अगर लगे कि सब बराबर है, तो फिर तो कोई गम ही नहीं, पर गर लगे कि मामला गड़बड़ है तो रास्ता बदलने में भी देर नहीं लगाती हूँ।
भाभी ने मज़ाक-मज़ाक में आभा के गरीबी का मज़ाक उड़ा दिया, "क्या आभा इतनी क्या प्यारी है ये साड़ी तुम्हें जो हर फंक्शन में इसे ही पहन लेती हो?"
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