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मुझे आशा है कि आप मेरे अब तक अविवाहित रहने के कारण पढ़कर मुझे विवाह ना करने के लिए क्षमा कर देंगे। यदि आपके पास इसका समाधान हो तो अवश्य बताइए?
बुरे वक्त में समाज आगे आ कर मेरे साथ क्यों नहीं खड़ा होता? जब समाज उस वक्त मेरा साथ नहीं दे सकता तो वह कौन होता है जो मेरे जीवन का फैसला ले?
"अम्मा! नियम तो बदलने के लिए ही बनते हैं और बेटियाँ और बहुएं तो हमारे समाज और परिवार के लिए रीढ़ के हड्डी समान होती हैं..."
"मैं शादी से पहले भी जॉब करती थी, वो पैसा मैंने अपने बच्चे की जरूरतों पर खर्च किये। जब पति को जरूरत होती उसे भी दिया। लेकिन जब मैंने..."
यूं तो विमला मेरे घर काम करने आती है पर हम दोनों एक दूसरे से अपने मन की कह लेते हैं, वरना इस चार दीवारी में मेरा दम कब का घुट गया होता।
"माँजी, मैं आगे पढ़ना चाहती हूँ", जब डरते-डरते सरला जी ने अपनी सासूमाँ को कहा तो आंगन में बैठी सरला जी की सासूमाँ जोर से हॅंस पड़ीं।
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