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आपने अक्सर देखा होगा कि लोग अपने घरों में लड़कियों का नाम कौशल्या और सुमित्रा तो रखते हैं, लेकिन कोई कैकेयी नाम क्यों नहीं रखता?
तैयार होके उसने शीशे में स्वयं को निहारा तो देखती ही रह गई। 'कितने दिन बाद आज अच्छी लग रही हूँ!' खुद को देख कर उसे अच्छा महसूस हुआ।
"अरे करना ही क्या है दाल रोटी बनाने में? एक मुट्ठी दाल कुकर में डालो और सीटी लगवा दो और दो रोटियां बना देना। आखिर, कितना ही समय लगेगा?"
इस शोर या ‘संस्कृति और प्यार’ के नाम पर मिलने वाली सीखों से विचलित हुए बिना तर्क के साथ जीवन जीना हमारी ज़िम्मेदारी है, खासकर आने वाली पीढ़ी के लिए।
"अपने हाथों से सारी तैयारी करवाऊँगी। पहला चौथ है! प्रिया क्या जाने रस्मों रिवाज़?" सोच-सोच रमा जी ख़ुशी से दोहरी होती जा रही थीं।
करवा चौथ का व्रत! पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाने वाला निर्जल व्रत, अनंतकाल से औरतें जिसका पालन करती आ रही हैं और संभवतः करती रहेंगी।
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