कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
"आज बोल दिया, फिर मत बोलना! मेरा बेटा क्यों रहेगा पागल? मर्द लोगों को थोड़ा गुस्सा आ जाता है। चीखने-चिलाने से कोई मर्द पागल नहीं बन जाता।"
न्यूट्रिशनिस्ट रुजुता दिवेकर ने की जेंडर न्यूट्रल किचन की बात, जो आपको गाँठ बांध लेनी चाहिए क्यूंकि इसमें छिपे हैं आपकी सेहत के कई राज़...
"मेरे बेटे ने पसन्द किया है लड़की को और लड़की रहना चाहती है। मैं माँ हूँ अगर मैं साथ न दूँगी तो मेरे बच्चे दुनिया में अकेले हो जायेंगे।"
हमें अक्सर कुछ उदार पुरुषों की टिप्पणी देखने को मिल जाती हैं, “एक औरत ही औरत की दुश्मन होती है”...लेकिन इस टिप्पणी के रचियता कौन हैं?
"ये कैसे बोल रही हो अपने पापा से? डॉक्टर बन गयी हो तो इसका मतलब ये नहीं कि अपने पापा से कुछ भी बोल दोगी", दादी ने अवनि को गुस्से से बोला।
"माँ, आप देखो सिंक बर्तन से भरा है, घर का हाल देख लीजिये! ये नहीं कि थोड़ा टाइम निकाल ले। छोटी सी बच्ची है घर में। पता नहीं कैसी माँ है!"
अपना ईमेल पता दर्ज करें - हर हफ्ते हम आपको दिलचस्प लेख भेजेंगे!
Please enter your email address