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मीडिया में स्ट्रांग सिस्टरहुड की ज़रुरत का चित्रण बहुत कम देखने मिलता है, क्या हमारा समाज बहनचारे से डरता है जो इस पर बात नहीं करता?
मिसेज श्रीलंका पुष्पिका डिसिल्वा के ताज के छिन जाने के बाद एक ही सवाल आया और वो ये कि तलाकशुदा या सिंगल मदर से समाज को एतराज क्यों है?
जो भी मुझे देखता, वो एक ही बात कहता कि 'तुम तो इतनी अच्छी हो, हमें तो पता ही नहीं चलता कि तुम दलित हो, तुम दलित नहीं लगतीं!'
ऐसे विमेंस डे की हमें तो कोई ज़रूरत नहीं है जहां सिर्फ हवाओं में बातें करी जाए और ज़मीन पर शोषण। आप ही को मुबारक हो ये "विशेष दिन"...
मेरा सवाल एक ही है क्यों मुझे हर रीति रिवाज से बांधा जाता हैं और खासकर माँ बनने के बाद मेरी निज़ी जिंदगी पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया जाता है।
हर गलती का हमेशा जिम्मेदार मुझे ही ठहराया जाता है, दूसरों के लिए छोटा, पर मेरे लिए मेरा आत्मसम्मान, शायद तब सबसे बड़ा हो जाता है।
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