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जब यह बात मैंने अपने कुछ महिला साथियों से पूछी, तो उन्होंने मिली-जुली प्रतिक्रिया दी, जिसको वाक्य में समेटने का प्रयास मैंने किया है...
मेरे लिए महादेवी वर्मा की कविता में ये लाइन हमेशा से प्रेरणादायक रही है, “घर तिमीर में, उर तिमीर में, आ! सखि एक दीपक बार ली।”
लेखिका आभा श्रीवास्तव के नया कहानी संग्रह काली बकसिया की सभी कहानियाँ साधारण परिवारों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी के इर्द-गिर्द ही घूमती हैं।
प्रज्ञा सिन्हा की बेहद खूबसूरत 25 कविताओं की एन्थोलॉजी 'मैं कभी कश्मीर नहीं गई' के बारे में आज हम उन से इस इंटरव्यू में बात कर रहे हैं!
जसविंदर संघेरा कहती हैं कि बाहर बसे ये लोग ज़्यादातर भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के थे, और ये नहीं चाहते थे कि उनके बच्चे अपनी मर्ज़ी से शादी करें।
अमृता प्रीतम की कविताएं कहती हैं कि उन्होंने कभी भी समाज के बंधनों को नहीं माना, समाज के दकियानूसी उसूलों पर सवाल उठाने में अमृता कभी पीछे नहीं रहीं।
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