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आशु सबके बीच में आया और अपनी माँ का नाम लेकर बोला, "निधि अभी देखना दादी तुम्हें कैसे पीटती है, तब तुम्हें समझ में आएगा कि आशु भूखा है।"
आज अपनी पत्नी की एक-एक चेतावनी उनके कानो में गूंज रही थी। लेन देन का गणित आज रमेश बाबू को बेहद भारी पड़ा था।
पलाश कह रहा है कि मैं मानसिक रूप से ठीक नहीं हूँ! मैं अपने माता पिता को ये बातें नहीं बता सकती, वे नहीं समझेंगे, मैं बिलकुल अकेली हूँ...
बच्चे और माता-पिता का रिश्ता एक हंसता-खेलता प्यारा सा रिश्ता ही अच्छा लगता है न कि ऑफिस के एक एंप्लॉयी और बॉस का।
क्यूंकि सुभाषिनी को गोद नहीं लिया गया था, इससे उसे कोई कानूनी अधिकार नहीं मिले। बस रचना ने उस का एडमिशन एक बहुत नामी स्कूल में करा दिया।
“क्या दादी एक औरत होकर आपको कभी नहीं लगा कि आप अन्याय कर रहीं एक दूसरी औरत के साथ। उनकी घुटती शक्ल भी आपको नहीं दिखी?”
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