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एक कामकाजी महिला को अपने घर व बाहर किन परिस्थितियों से गुज़रना पड़ता है, विद्या ने इसका सटीक उदाहरण फ़िल्म शेरनी में प्रस्तुत किया है।
ट्वीटर पर संजय दत्त का एक वीडियो, जो काफी पुराना दिखता है, बीते दिनों अचानक से बहस के दायरे में आ गया है। ऐसा क्या है इस वीडियो में?
फिल्म स्केटर गर्ल के एक संवाद में महारानी जैसिका से कहती हैं, “यहां के लोगों को बदलाव नहीं पसंद है। खासकर तब जब बदलाव एक औरत ला रही हो।"
फिल्म शादीस्थान का ये डायलाग बहुत कुछ कहता है, "हम जैसी औरतें लड़ाई करती हैं ताकि आप जैसी औरतों को अपनी दुनिया में लड़ाई न करनी पड़े।"
फिल्म संदीप और पिंकी फरार में परिणीति पूछती है,"तुम लोग खुश कब होते हो बॉस? तुम देवता लोग। तुम, अंकल, मेरा बॉस तुम लोग खुश कब होते हो?"
द फैमिली मैन सीजन 2 में मनोज वाजपेयी जी की एक्टिंग की कला के बारे में क्या ही बोलेंगे लेकिन आदत से मजबूर मुझे कुछ महिला किरदार याद रह गए।
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