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राजेश को ये उम्मीद नहीं थी कि कुछ ऐसा सुनने को मिलेगा। पर उसनेे भी हिम्मत नहीं हारी और पता नहीं क्या सोच कर फ़िर लाईन में लग गया।
जैसे मौसम हमेशा एक से नहीं होते वैसे ही इंसान की फितरत भी एक सी नहीं रहती, ये बात आज प्रिया को अच्छे से समझ आ गई थी।
बुआ जी कम फिल्मी थीं? सविता जी का फोन आते उन्होंने जो फिल्मी अंदाज में एक्टिंग कर दिखावा किया कि वो सच में बीमार हैं।
कुमुद को जब खाना कपड़ा मिल रहा है और मायके जाने का किराया मिल रहा है तब उन्हें एक रुपए की भी आवश्यकता क्यों है, यह पुरुष नहीं समझते थे।
"मैं समझ गई हूं ससुराल में जाकर मुझे ऐसा कोई काम नहीं करना जिससे आप लोगों की नाक कट जाए। अपनी हर इच्छा और आदत तो को मार देना है..."
अब अगर वह नहीं आए तो मामा की तरफ़ से आई नथ भी नहीं आएगी और उनके ना आने पर चार लोग पूछेंगे सो अलग। ऐसे में क्या जवाब दिया जाता?
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