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अंजलि का साथ सास ने बहुत अच्छे से दिया। अंजली के इतने आर्डर दिन भर में आ जाते थे कि सास-बहू को पूरा करने में मुश्किल हो जाती थी।
मम्मीजी जी ने ये कह फ़ोन रख दिया कि देखना कोई कमी ना रह जाये, लेकिन ये पूछना तो भूल ही गईं कि "तुम्हें आटे का हलवा तो बनाने आता है ना?"
"ये कौन सी नई रीत शुरू कर रही है बहु? तोहफ़े तो बहुओं के मायके से आते हैं, ना कि ससुराल से भेजे जाते हैं", बहू ऐसा कहती थीं मेरी सासु माँ...
"एक झूठ बोलने से अगर रिश्ते सवंरते हैं तो मुझे नहीं लगता इसमें कुछ हर्ज है। तुम अपनी मां से फोन पर कह देना कि मैंने तुम्हें यह सब करने को कहा है..."
"मुझे माफ़ कर दीजिए मां! पर साड़ी कटने में मेरा कोई दोष नहीं, मैंने सारे एहतियातों का ध्यान रखा था, पर वो पिन की वजह से..."
सीमा को अपने पति पर गर्व होता। उसने सपने में न सोचा कि उसका पति उसका साथ देगा। क्या करती, बचपन से उसने देखा कि ज़रूरत सिर्फ पति की होती है।
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