कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं? जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!
सुरभि ने कहा भी था, "मां तुम मेरे बारे में किसी से चर्चा क्यों नहीं करती हो?" मां ने कहा था, "बेटा मैं क्यों बताऊंगी? वह लोग खुद जान जाएंगे।" वक्त से पहले बोलना नहीं चाहती थी वो।
समयचक्र है बदल गया, जो हुआ पुराना बीत गया। अब मुझसे टकराने का साहस न कर पाओगे तुम। मैं स्वयं लिखूंगी भाग्य मेरा।
मेरी मम्मी को अब तो यूट्यूब चलाना आ गया था। घर की जितनी पुरानी चीजें थी सबसे घर को सजाने बैठ गईं। घर तो नहीं सजा चीजें जरूर बर्बाद हो गई।
लड़कियों का जन्मदिन घर में ही परिवार के लोगों के साथ मना दिया जाता था लेकिन लड़कों का जन्मदिन बहुत धूमधाम से मनाया जाता था।
ये बात समझने में मैंने बहुत देर कर दी कि पति होने के नाते मेरे कुछ कर्तव्य तुम्हारे प्रति भी हैं। लेकिन अब तुम्हारे साथ कोई भेदभाव नहीं होगा।
बातों की लड़ी बस टूटती, लचकती, ठहरती यूं ही चलती रहतीं है, रूठना-मनाना, गुड-मार्निंग, गुड-नाईट लॉग डिस्टेंस को जोड़ती यही तो ठोस कड़ी हैं।
अपना ईमेल पता दर्ज करें - हर हफ्ते हम आपको दिलचस्प लेख भेजेंगे!
Please enter your email address