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"देखो रमन मुझे तीसरा बच्चा लड़का ही चाहिए, इसके लिए मैंने सब कुछ पता कर लिया। इस बार चेक कराकर ही तीसरे बच्चें को जन्म दूँगी।"
रमन ने लड़खड़ाती जुबान में डरते हुए कहा, “माँ, आप यहाँ? क्या हुआ? अंदर आइये ना, आप दरवाजे पर क्यों खड़ी हैं?”
जब बेटी हुयी तब मैंने जाना क्यों तुम मुझ में अपने आप को खोजती थी, क्यों तुम इतने लाड से, इस रिश्ते को सींचती थी, क्यों मैं तुम्हारी...
सभी महिलाओं से मेरा एक सवाल है, ताउम्र हम सब के मन का करते हैं पर अपने मन का कुछ करने की हिम्मत क्या हमारे अंदर है?
उठो सखी बहुत हुआ। लोगों की ऐसी बातों से, ख़ुद को कभी न बोझिल करना।राह सही है डगर सही है,खुद ही अपना संबल बनाना।
मैं हूँ एक परित्यागा! मैंने त्याग किया है अपने पुरुष का! पुरुष जो पुरुष होने से अधिक कुछ नहीं, कुछ हो भी नहीं सकता था...
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