कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

कथा और कविता
मैं अपनी क़िस्मत से भी लड़ जाऊँगी…

होती हैं ये सब किस्मत की बातें,मैं भी यही सोचा करती थी। है अगर यही मेरी क़िस्मत तो, मैं किस्मत से भी लड़ जाऊंगी।

टिप्पणी देखें ( 0 )
क्या बड़े महलों में बंद रहेगी असली महारानी?

बड़े बड़े इन महलों में बंद, बुलबुलें झटपटाती हैं, क्या किसी के लिए लड़ेंगी, आपबीति नहीं कह पाती हैं, आपबीति नहीं कह पाती हैं...

टिप्पणी देखें ( 0 )
अपने बीते कल को देख कर मुस्कुराना ज़रूर…

कभी किसी वक्त उस पन्ने को पलट के देखना ज़रूर, अपने बीते हुए कल को निहारना ज़रूर, फिर एक बार तुम मुस्कुराना ज़रूर...

टिप्पणी देखें ( 0 )
कल की पीछे छोड़ मैं आज कुछ करना चाहती हूँ…

नहीं थूक पाई, भीड़ भरी बस में उस आदमी पर, जिसके हाथ लगातार उसके आगे खड़ी औरत के जिस्म को छू रहे थे, तब बोलना चाहिए था, कुछ करना चाहिये था...

टिप्पणी देखें ( 0 )
मुझे दिखावे वाला आराम नहीं चाहिए…

अपनी माँ को हमेशा अभाव में देखा था अवि ने इसलिए नौकरी मिलते ही इ.एम.आई ले कर घर में सुख सुविधा की चीज़ें जुटाने लगा। 

टिप्पणी देखें ( 0 )
मैं अपनी बेटियों को बोझ नहीं समझती…

बहुरानी, तो क्या मैं इसे तुम्हारा थोथा ज्ञान समझूं? कथनी और करनी में अन्तर? अभी पैदा हुयी है, पहले इसकी देखरेख अच्छे से करो!

टिप्पणी देखें ( 0 )
topic
short-stories-poetry
और पढ़ें !

The Magic Mindset : How to Find Your Happy Place

अपना ईमेल पता दर्ज करें - हर हफ्ते हम आपको दिलचस्प लेख भेजेंगे!

Women In Corporate Allies 2020

All Categories