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एक घर ने नाम रखा है, ये तो परायी है, तो दूजा घर कहता है ये तो पराये घर से आयी है, और नाम जिसका रखा है दुनिया ने बोझ...
जब से उन्होंने बिटिया के पैदा होने की ख़बर सुनी थी तब से बस जोड़ना घटाना शुरू कर दिया था कि कितना खर्च होगा बच्ची की शादी में।
"ससुराल वालों और पति के तानों को सुन कर कब तक रहोगी? आधुनिक सिर्फ कपड़ों और रहन सहन से नहीं, आधुनिक विचारों से भी होना चाहिये..."
अगर आज वो तन्मय और उसके परिवार के खोखले विचारों को अपनाकर बच्चा पैदा कर लेती और किसी को गोद ना लेती तो शायद खुद को कभी माफ़ नहीं कर पाती।
अब जब आपकी बारी आई है तो आप अपनी ही दी हुई सीख से पीछे हट रही हो और आप तो ऐसे परेशान हो रही हो जैसे मैंने कोई पाप करने के लिए कह दिया हो।
उनको ऐसे कमरे में बंद देखकर मेरा मन भी दुःखी होता। लेकिन पतिदेव अमर की ज़िद थी कि मेरी पहली होली ससुराल में ही होगी।
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