कोरोना वायरस के प्रकोप में, हम औरतें कैसे, इस मुश्किल का सामना करते हुए भी, एक दूसरे का समर्थन कर सकती हैं?  जानने के लिए चेक करें हमारी स्पेशल फीड!

कथा और कविता
क्या मैं हर घर में परायी ही रहूंगी?

एक घर ने नाम रखा है, ये तो परायी है, तो दूजा घर कहता है ये तो पराये घर से आयी है, और नाम जिसका रखा है दुनिया ने बोझ...

टिप्पणी देखें ( 0 )
माँ, आप एक औरत होकर बेटी के होने पर दुखी हैं?

जब से उन्होंने बिटिया के पैदा होने की ख़बर सुनी थी तब से बस जोड़ना घटाना शुरू कर दिया था कि कितना खर्च होगा बच्ची की शादी में। 

टिप्पणी देखें ( 0 )
अपने बेटे को सिर्फ कपड़ों से नहीं विचारों से भी आधुनिक बनाएं…

"ससुराल वालों और पति के तानों को सुन कर कब तक रहोगी? आधुनिक सिर्फ कपड़ों और रहन सहन से नहीं, आधुनिक विचारों से भी होना चाहिये..."

टिप्पणी देखें ( 0 )
मैं माँ बनना चाहती हूँ, लेकिन एक बच्चा गोद ले कर…

अगर आज वो तन्मय और उसके परिवार के खोखले विचारों को अपनाकर बच्चा पैदा कर लेती और किसी को गोद ना लेती तो शायद खुद को कभी माफ़ नहीं कर पाती।

टिप्पणी देखें ( 0 )
माँ, अब आपकी बारी है…

अब जब आपकी बारी आई है तो आप अपनी ही दी हुई सीख से पीछे हट रही हो और आप तो ऐसे परेशान हो रही हो जैसे मैंने कोई पाप करने के लिए कह दिया हो।

टिप्पणी देखें ( 0 )
समय के साथ रीति-रिवाज़ बदलने ज़रूरी हैं…

उनको ऐसे कमरे में बंद देखकर मेरा मन भी दुःखी होता। लेकिन पतिदेव अमर की ज़िद थी कि मेरी पहली होली ससुराल में ही होगी। 

टिप्पणी देखें ( 0 )
topic
short-stories-poetry
और पढ़ें !

The Magic Mindset : How to Find Your Happy Place

अपना ईमेल पता दर्ज करें - हर हफ्ते हम आपको दिलचस्प लेख भेजेंगे!

Women In Corporate Allies 2020

All Categories