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अनीता जी का फोन आया। मैंने उठाया नहीं। एक बार, दो बार, तीन बार लगातार घंटी बजती रही। सिर दर्द से फटा जा रहा था ऊपर से फोन।
जो बेफ़िक्री के पंख लगाए यहाँ वहाँ उड़ती फिरती थी,अब बच्चे के साथ हर पल घर में बंद हो जाती है।एक अल्हड़ सी लड़की जब माँ बन जाती है।
सीरियल में अगर बहू कुछ गलत करती तो उस दिन वही चर्चा का विषय होता और रीमा को सुन सुन कर ऐसा लगता जैसे उसे ही सुनाया जा रहा हो।
क्या उसकी आवाज़ जो उसने बड़ी मुश्किल से साहस कर एक बार उठायी थी पर कुचल दी गयी थी, क्या अब फिर से उठने की हिम्मत कर सकेगी?
पहचान तो उसी दिन बदल गयी थी जिस दिन रजनी से मिसेज नायर बनी थी। इसी नाम से तो जानते है सब मुझे। मेरा नाम रजनी है यह तो मैं भी भूल गयी थी।
हर महीने उम्मीद और ना उम्मीद के बीच नैना झूल रही थी। कभी टूट जाती तो फिर ईश्वर के प्रति विश्वास से एक बार फिर से उठ कर खड़ी हो जाती थी।
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